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गधे और घोड़े -02-Jan-2022

गधे और घोड़े 


गधे और घोड़े 

गधों में बड़ी बेचैनी थी । रह रहकर पैर पटक रहे थे । कभी पूंछ फटकार रहे थे तो कभी फुंफकार रहे थे । इधर से उधर चक्कर काट रहे थे । एक दूसरे को देखकर उत्तेजित हो रहे थे । इतने आक्रोश में कभी देखा नहीं उनको । लेकिन आज तो ऐसा लग रहा था कि जैसे खूंटा उखाड़ कर भाग ही जाएंगे । 

सबकी बेचैनी देखकर गधों का सरदार झबरा बोला " मैं आप सबकी परेशानी समझ सकता हूं।सारा काम हम लोग ही करते हैं । इस घर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ आखिर हम ही तो हैं । ये कुम्हार करता क्या है ? सारा काम तो हम लोग तैयार कर इन्हें देते हैं और ये तो बस , राज करते हैं राज । और ये घोड़े ? इन्होंने तो हद ही कर रखी है । ये मालिक की चमचागिरी में मस्त रहते हैं और साल के आखिरी दिन इनाम के रूप में अपना प्रमोशन पा लेते हैं । और हमारे प्रमोशन के बारे में तो सोचने में भी जोर आता है इनको । कमाल है ना कि हम लोग ही इनके हाथ - पांव , आंख - कान हैं और हमको ही "क्रश" करने में लगे रहते हैं ये घोड़े, रात दिन " । झबरा की आंखों से चिंगारियां निकलने लगीं ।

युवा और बहुत जोशीला एक गधा "बहादुर" बोला " बहुत हो गया इनका नाटक । अब और नाटक नहीं देख सकते हैं । या तो ये हमारी मांगे पूरी करें या फिर गद्दी छोड़ें। दोनों में से एक काम तो करें । इससे कम में नहीं मानेंगे हम " ? 

जोशीले बहादुर की बातों से सभी गधों में जोश‌ भर गया । सबकी भुजाएं फड़कने लगी । सबने बहादुर की बात का समर्थन किया और जोर जोर से नारा लगाने लगे ।

"हमारी मांगे पूरी करो । हमारी मांगे पूरी करो " 

गगनचुंबी नारों से आसमान गूंज उठा। घोड़ों में भी खलबली मच गई । कुम्हार ने घोड़ों के मुखिया मुख्य घोड़े को बुलवाया और पूछा " ये सब क्या हो रहा है ? गधे इतना शोर क्यों मचा रहे हैं ? इनको "दाना पानी" नहीं मिल रहा है क्या ? जरा जाकर पता करो " 

मुख्य घोड़े ने अपने विश्वस्त घोड़े लगा दिए जो खुफिया जानकारी एकत्रित करने लगे । दरअसल घोड़ों में भी दो प्रजातियां थीं । एक तो अरबी नस्ल के घोड़े जो अपने आपको सर्वश्रेष्ठ समझते थे । वे यही मानते थे कि "असल" घोड़े तो वही हैं और वे पैदा ही सत्ता सुख भोगने के लिए हैं । बहुत एकता है इन अरबी घोड़ों में । मजाल है कि कोई इनकी ओर आंख उठाकर देख ले । आंख ही नहीं फोड़ देते उसकी , नाक कान काटकर नकटा बूचा बनाकर छोड़ देते हैं ये । ऐसी घत देखकर फिर किसी गधे की हिम्मत ही नहीं होती जो इनके खिलाफ आवाज उठायें । 

दूसरे प्रकार के घोड़े हैं देसी नस्ल के । वस्तुत: ये होते गधे ही हैं या गधे जैसे होते हैं लेकिन कुम्हार ने इनमें से कुछ गधों को घोड़ा "घोषित" कर दिया है । बस तब से ही ये "देसी घोड़े" खुश हैं और अपने आपको अरबी नस्ल का घोड़ा समझने लगे हैं लेकिन अरबी नस्ल वाले घोड़े इनको गधा या गधे जैसा ही मानते हैं । अब इन देसी घोड़ों के लिए बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है । ये न घर के रहे न घाट के । घोड़ा बनने के चक्कर में न गधे रहे और न अरबी नस्ल वाले घोड़े बन पाये । अरबी नस्ल वाले घोड़े बड़े स्पेशल होते हैं । कुम्हार पर उनका पूरा नियंत्रण है । घोड़ों की सलाह से ही कुम्हार सारा काम करता है, राजपाट चलाता है । अरबी नस्ल के घोड़ों के व्यवहार से ये देसी नस्ल वाले घोड़े दुखी हैं  लेकिन घोड़े बनने का शौक अभी चरम पर है और हर गधा घोड़ा बनना चाहता है । इसके लिए वह अरबी नस्ल वाले घोड़ों की गुलामी तक करता है । कुम्हार के पांव भी पड़ता है । मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला निकलता है । 

एक दिन एक जाना माना अरबी नस्ल का घोड़ा चोरी चोरी " दाना पानी" करते पकड़ा गया । बस , सारे अरबी घोड़े एक हो गए और कुम्हार पर प्रैशर बनाकर उसे छुड़वा लिया लेकिन जब एक दिन एक देसी नस्ल के घोड़े पर किसी ने इल्जाम लगा दिया कि इसने चोरी से "दाना पानी" खाया है तो यही अरबी नस्ल वाले घोड़े उसे दंड देने के लिए कुम्हार पर प्रैशर बनाते दिखे । गजब का दोगलापन है इनमें । और कुम्हार भी ऐसा निर्दयी है कि देसी घोड़ों की जमकर मौज लेता है । अरबी घोड़ों का तो वह कुछ बिगाड़ नहीं पाता इसलिए देसी घोड़ों के कान उमेठ कर ही खुश हो लेता है । 

इसी प्रकार ये देसी घोड़े भी अजीब किस्म के होते हैं । इनको और कोई तो घास डालता नहीं है इसलिए ये देसी घोड़े गधों पर ही रौब झाड़ते रहते हैं । अरबी घोड़ों से ज्यादा खतरनाक साबित हुए हैं ये देसी घोड़े "गधों" के लिए । बेचारे गधे । पैदा ही मार खाने के लिए हुए हैं । लेकिन जब देसी घोड़ों से मार खाते हैं तो दिल में चोट लगती है । अपना ही बड़ा भाई जब मारता है तो चोट की पीड़ा से ज्यादा अपमान की पीड़ा महसूस होती है ।

मुख्य घोड़े ने मालूम करवाया कि गधों की मांग क्या है तो ज्ञात हुआ कि जो दूसरे पशु हैं उनमें से घोड़े बनाने को लेकर आक्रोश है । गधों का कहना है कि केवल गधों में से ही प्रोमोशन किया जाकर घोड़े बनाए जाने चाहिए । अरबी घोड़े इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं । उनका कहना है कि सबको समान अवसर मिलने चाहिए । अरब से ही जब ये नये नये घोड़े आते हैं तो इनको अच्छी तरह से पढ़ाया जाता है कि इनको क्या करना है क्या नहीं । गधों पर अंकुश लगाने के लिए दूसरे जानवर जैसे उल्लू , लोमड़ी , भैंस आदि में से "पक्के चमचों" को घोड़ा घोषित कर दिया जाता है । और इस प्रकार गधों को आईना दिखा दिया जाता है । चैक एंड बैलेंस का अद्भुत तरीका है ये । 

इस बार गधों ने "अन्य पशुओं में से चमचों को घोड़ा घोषित करने " की प्रक्रिया को रोकने की मांग कर दी है । पर कुम्हार और अरबी घोड़े तो पूरे घाघ हैं । आसानी से नहीं मानेंगे । गधों में से ही कुछ गधों को "गाजर" दिखाकर तोड़ लेंगे । गधे भी तो गधे हैं । जहां भी मलाई देखते हैं वहीं लार टपकाते नजर आ जाते हैं । कुम्हार और अरबी घोड़े इसी लालच का फायदा उठाकर उन पर अत्याचार करते हैं । पर "कुम्हार के अस्तबल में " गधों को कौन पूछता है । 

देखते हैं कि गधे कब तक विरोध करते हैं । हो सकता है कि एक दिन वे अपने मकसद में कामयाब हो ही जाएं । अभी तो गधों पर चौतरफा आक्रमण हो रहा है । जिसे देखो , वही लात मारकर चला जाता है । बेचारे गधे । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
2.1.21

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